देवकी नहीं, बसदेव नहीं, कंस नहीं, मथुरा नहीं, लेकिन भाव भी वही और हाल भी वही है

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बनीक़ोडर बाराबंकी , देवकी नहीं, बसदेव नहीं, कंस नहीं, मथुरा नहीं, लेकिन भाव भी वही और हाल भी वही है, कलयुग में द्वापर सा नजर आया, देवकी के सात पुत्रों के कंस द्वारा वध करने की कथा सुनकर क्षेत्रीय भक्त मुक्त हो गए।उक्त बातें मैनपुरी से पधारकर आई बाल व्यास देवी सुपरस्टार गोल्डी शास्त्री जी ने श्रीमद् भागवत कथा के आयोजक धीरज यादव के निवास गाजीपुर मे छठवें दिन कहीं ।उन्होंने कहा कि वासुदेव देवकी की शादी के पश्चात जैसे ही आकाशवाणी हुई कि देवकी का आठवां पुत्र कंस तेराकाल होगा।

आकाशवाणी की बातें सुनकर कंस ने दोनों को कारागृह में डाल दिया। धीरे-धीरे सात पुत्रों का जन्म होता गया और कंस उनकी हत्या करता गया ।आठवां पुत्र कृष्ण के जन्म होते ही कारागृह के सारे पहरेदार सो गए और वासुदेव कृष्ण को लेकर नंद बाबा के घर चले गए। गोकुल जाते ही जमुना जी ने भी उनके चरण स्पर्श किए, नंद बाबा के घर में श्री कृष्ण को छोड़कर उनकी कन्या को वासुदेव पुनः कारागृह ले आए और कंस को पता चला कि वासुदेव का आठवां पुत्र जन्म ले चुका है उसने जैसे ही उसे करने का प्रयास करता है वैसे ही वह आकाश वाणी होती है कि तेरा काल गोकुल में पहुंच चुका है ।

इस अवसर पर पूर्व प्रधान रंजय सिंह , पूर्व प्रधान रिंकू सिंह, अश्वनी तिवारी, मूलचंद यादव, उदय नारायण शुक्ला, बिन्नू जायसवाल ,सतनाम यादव ,अमरनाथ शुक्ला, पारसनाथ आदि तमाम भक्त मौजूद रहे।

रिपोर्टर
डॉ एम एल साहू
आवाज ए जिंदादिल
ब्यूरो प्रमुख उत्तर प्रदेश।

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