हड़ताली चालकों पर दमन बंद करे सरकार! काले कानून को रद्द करे!

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भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश का प्रेस बयान

हड़ताली चालकों पर दमन बंद करे सरकार! काले कानून को रद्द करे!

लखनऊ- 2 जनबरी 2024, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राष्ट्रीय नेता डा॰ गिरीश ने ड्रायवरों की हड़ताल का पुरजोर समर्थन करते हुये, उन्हें 10 साल की कैद और सात लाख जुर्माना संबंधी कानून को तत्काल रद्दी की टोकरी में डालने की मांग की है। साथ ही हड़ताली ड्रावर बंधुओं पर सरकार द्वारा दहाए जा रहे जुल्मों और बल प्रयोग की कड़े शब्दों में निन्दा की है।

भाकपा की ओर से जारी एक प्रेस बयान में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी क वरिष्ठ सदस्य डा॰ गिरीश ने कहा कि नया एक्ट जब बनाया जा रहा था, तब सब बे फिक्र थे कि मोदी की गारंटी के बीच उनसे कोई अन्याय नहीं हो सकता। लेकिन जब काले कानून का खुलासा हुआ तो पता चला कि यह तो जानलेवा कानून है। इतनी बड़ी सजा और जुर्माने को चुकाते हुये तो इन्सानों ई उम्र ही बीत जाएगी। फिर कैसे वो अपने परिवार का भरण पोषण करेगा। अब लोगों को पता चला है तो त्राहि त्राहि मची है।

अब सरकार कह रही है कि हड़ताल का कोई नोटिस नहीं दिया गया। यह वही सरकार है जिसने श्रमिकों के हित में बनाए गए श्रम क़ानूनों को अपने पूंजीपति आकाओं के जुल्म और लूट की छूट देने को एक झटके में बदल दिया। अब सरकार किस मुंह से कानूनी नोटिस की बात कर रही है? शर्म आनी चाहिए इस सरकार को जो अपनी शोषित पीड़ित जनता से अंग्रेजों से भी बुरा वरताव कर रही है।

डा॰ गिरीश ने कहा कि लोकतन्त्र को कुचल कर फ़ासिज़्म के रास्ते पर बढ़ रही सरकार का सोच ये है कि धार्मिक सवालों और धार्मिक विभाजन को इतना अधिक उछाला जाये कि लोग अपना हित ही भूल जायेँ और उनकी आड़ में उन पर मनमानी तानाशाही लादी जा सके। और आज यही हो रहा है।

लेकिन अब जब सचाई सामने आ रही है तो लोगों को कुछ कुछ समझ आ रहा है। जो ड्रायवर बंधु वाहनों पर गाने बजा रहे थे कि “जो राम को लाये हैं, हम उनको लाएँगे’ आज वे समझ गए कि राम की आड़ में वे उनकी जान लेने वाला कानून ले आए। धीरे धीरे समझ आ रहा है कि बुलडोजर मुसलमानों पर ही नहीं हर शोषित- पीड़ित पर कहर ढा रहा है। केवल उन पर नहीं चल रहा जो संघ और भाजपा से जुड़े हैं, भले ही वे बलात्कारी ही क्यों न हों।

भाकपा नेता ने कहा कि अभी तो संसद में बिना बहस ही कराये पारित किए न्यायसंहिता क़ानूनों की भयावहता की सचाई सामने आना बाकी है। जिस दिन वो सामने आएगी, मंदिर निर्माण की आड़ में फैलाई गयी सारी “माया” छट जाएगी।

(डा॰ गिरीश)

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