आज बजरंग दल के विनय वर्मा के अगवाई में सुढ़ियामऊ में मनाया गया वीरांगना लक्ष्मीबाई बलिदान दिवस
संवाददाता अमन मिश्रा
बजरंग दल के जिला सह संयोजक विनय वर्मा ने बताया कि लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी में 19 नवम्बर 1828 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था।
भारतीय स्वतंत्रता की पहली लड़ाई रानी झांसी के नेतृत्व में शुरू हुई थी. 18 जून 1857 में अंग्रेजों के साथ हुई निर्णायक लड़ाई में ग्वालियर में उनका बलिदान हुआ था. इस बार उनका 166वां बलिदान दिवस है.
झांसी की रानी ने आखिरी दम तक अंग्रेजों के साथ लड़ाई की थी। इनकी वीरता की कहानियां आज भी प्रचलित हैं, मरने के बाद भी झांसी की रानी अंग्रेजों के हाथ में नहीं आई थीं। रानी लक्ष्मीबाई अपनी मातृभूमि के लिए जान न्यौछावर करने तक तैयार थी।’ मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी’ इनका यह वाक्य बचपन से लेकर अभी तक हमारे साथ है। यहाँ झांसी रानी की कहानी के बारे में विस्तार से बताया गया है।
बजरंग दल जिला सहसंयोजक विनय वर्मा , ठाकुर रमन सिंह , डॉ संदीप पाल , विमलेश मौर्य , हरगोविंद सिंह , अनमोल सिंह अन्य लोग भी मौजूद रहे